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पुस्ताकोपाहार 2024-25

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पुस्तकालय गतिविधियों की कुछ झलकियाँ

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Friday, April 19, 2024

World Book Day (23, April 2024)

 23 अप्रैल, विश्व पुस्तक दिवस: किताबों का सुंदर सजीला संसार

आज 23 अप्रैल, 2024 को पुस्तकालय द्वारा विश्व पुस्तक दिवस (World Book Day) का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर आपको रोचक जानकारी दी जा रही है। 



23 अप्रैल 1564 को एक ऐसे लेखक ने दुनिया को अलविदा कहा थाजिनकी कृतियों का विश्व की समस्त भाषाओं में अनुवाद हुआ। यह लेखक था शेक्सपीयर। जिसने अपने जीवन काल में करीब 35 नाटक और 200 से अधिक कविताएँ लिखीं। साहित्य-जगत में शेक्सपीयर को जो स्थान प्राप्त है उसी को देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।

'विश्व पुस्तक दिवसप्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को मनाया जाता है। इसे विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक संगठनयूनेस्को (UNESCO) द्वारा किया जाता है। विश्व पुस्तक दिवस का आयोजन सर्वप्रथम 23 अप्रैल, 1995 मेँ किया गया था। 

पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्र होती है। पुस्तकों से ही विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।पुस्तकें ज्ञान का भण्डार होती हैं। पुस्तकों से अच्छी शिक्षा ग्रहण करके जीवन को सफल बनाया जा सकता है।केवल विद्यार्थी ही नहीं वरन प्रत्येक मनुष्य को अच्छी पुस्तकें पढ़ने से लाभ प्राप्त होता है।पुस्तकों से हमारा ज्ञानतर्कशक्ति  बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।

विश्व पुस्तक दिवस पर सार्वजनिक पुस्तकालय में पुस्तक प्रदर्शनी तथा पुस्तकों के महत्व पर परिचर्चा सहित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर पुस्तक से संबंधित अनेकानेक गतिविधियां होती हैं। जगह-जगह पुस्तकों के महत्व पर विस्तार से विचार-विमर्श किया जाता है और पुस्तकों के महत्व  उपयोगिता की ज्ञानवर्धक जानकारी दी जाती है। इस दिवस पर अनेक विद्यालयों मेँ पुस्तकों पर आधारित प्रश्नोत्तरी का आयोजन भी किया जाता है।

इतिहास
पहला विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल, 1995 को मनाया गया था। यूनेस्को ने यही तारीख तय की थी। इस तारीख के साथ खास बात यह है कि विलियम शेक्सपीयर समेत कई महान लेखकों की पुण्यतिथि और पैदाइश की सालगिरह है। विलियम शेक्सपीयर का निधन 23 अप्रैल, 1616 को हुआ था। स्पेन के विख्यात लेखकत मिगेल डे सरवांटिस (Miguel de Cervantes) का निधन भी इसी दिन हुआ था।

23 अप्रैल को ही क्यों?
इसे 23 अप्रैल को मनाने का विचार स्पेन की एक परंपरा से आया। स्पेन में हर साल 23 अप्रैल को 'रोज डे' मनाया जाता है। इस दिन लोग प्यार के इजहार के तौर पर एक-दूसरे को फूल देते हैं। 1926 में जब मिगेल डे सरवांटिस का निधन हुआ तो उस साल स्पेन के लोगों ने महान लेखक की याद में फूल की जगह किताबें बांटीं। स्पेन में यह परंपरा जारी रही जिससे विश्व पुस्तक दिवस मनाने का आइडिया आया।
सन्दर्भ स्त्रोत - https://navbharattimes.indiatimes.com/education/gk-update/why-world-book-day-is-celebrated-on-23-april/articleshow/69004265.cms

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Sunday, April 14, 2024

Ambedkar Jayanti Celebration (14/04/2024)

 






14 अप्रैल 2024 को देश 'भारत रत्न' 'संविधान निर्माता' बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की 133वीं जयंती मनाएगा एक सामाजिक-राजनीतिक सुधारक के रूप में आंबेडकर की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा असर हुआ है। भारत के सामाजिक, आर्थिक नीतियों और कानूनी ढांचों में अगर आज कहीं भी प्रगतिशील बदलाव दिख रहे हैं तो इसके पीछे कहीं न कहीं आंबेडकर के वो विचार हैं जो उन्होंने 60 से 75 साल पहले दिए। कहने में कोई गुरेज नहीं कि डॉ. आंबेडकर के वे विचार आज भी प्रासंगिक हैं




👉 डॉ भीमराव अम्बेडकर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

* जन्म- भारत प्रांत (अब मध्य प्रदेश में) सैन्य छावनी “महू” में एक मराठी परिवार में हुआ था। वह रामजी मालोजी (ब्रिटिश सेना में सूबेदार) और भीमाबाई की 14 वीं संतान थे।

* भीमराव अम्बेडकर हिंदू “महार” जाति से संबंध रखते थे, जिसे समाज में अछूत जाति कहा जाता था। बचपन से ही भीमराव गौतम बुद्ध की शिक्षा से प्रभावित थे। पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद अनुसूचित जाति से संबंधित होने के कारण उन्हें सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ता था। 

* वर्ष 1897 में, भीमराव अपने परिवार साथ मुंबई चले गए और वहां एल्फिंस्टन हाई स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। जहां अम्बेडकर एक मात्र अस्पृश्य छात्र थे।

* अप्रैल 1906 में, जब वह 15 वर्ष के थे, तब उनका विवाह नौ वर्ष की लड़की रमाबाई से हुआ।

* वर्ष 1907 में, उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और अगले वर्ष एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश किया, जो कि बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबंधित था और ऐसा करने वाले वह पहले अस्पृश्य छात्र बने। 

* वर्ष 1913 में, उन्हें सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय (बड़ौदा के गायकवाड़) द्वारा स्थापित एक योजना के तहत न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षा के अवसर प्रदान करने हेतू तीन साल के लिए ₹755 प्रति माह बड़ौदा राज्य की छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी। जिसके चलते 22 साल की उम्र में वह संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए।

* भीमराव अम्बेडकर जॉन डेवी के लोकतंत्र निर्माण कार्य से काफी प्रभावित थे।  9 मई को, उन्होंने मानव विज्ञानी अलेक्जेंडर गोल्डनवेइज़र द्वारा आयोजित एक सेमिनार में “भारत में जातियां: प्रणाली, उत्पत्ति और विकास” पर एक लेख प्रस्तुत किया, जो उनका पहला प्रकाशित कार्य था। 

* अक्टूबर 1916 में, डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर लंदन चले गए और वहाँ “ग्रेज़ इन” में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए दाखिला लिया और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया। जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया। जून 1917 में, वह अपना अध्ययन अस्थायी रूप से बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए।

* भारत लौटने पर भीमराव बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में कार्य करने के लगे। जहां कुछ दिन बाद उन्हें पुनः भेदभाव का सामना करना पड़ा। अंत में, बाबा साहेब ने नौकरी छोड़ दी और एक निजी ट्यूटर और एक लेखाकार के रूप में काम करने लगे।

* वर्ष 1918 में, वह मुंबई में सिडेनहम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनीतिक अर्थव्यवस्था (Political Economy) के प्रोफेसर बने। जहां उनका अन्य प्रोफेसरों के साथ पानी पीने के जॉग को साझा करने पर विरोध किया गया।

* भारत सरकार अधिनियम 1919 को तैयार कर रही “साउथबरो समिति” के समक्ष जब भीमराव अम्बेडकर को गवाही देने के लिए आमंत्रित किया गया। तब अम्बेडकर ने दलितों और अन्य धार्मिक समुदायों के लिए पृथक निर्वाचिका (separate electorates) और आरक्षण देने की वकालत की।

* वर्ष 1920 में, उन्होंने मुंबई में साप्ताहिक “मूकनायक” के प्रकाशन का कार्य शुरू किया। जिसका इस्तेमाल अम्बेडकर रूढ़िवादी हिंदू राजनेताओं व जातीय भेदभाव से लड़ने के प्रति भारतीय राजनैतिक समुदाय की अनिच्छा की आलोचना करने के लिए करते थे।

* बॉम्बे हाईकोर्ट में कानून की प्रैक्टीस करते हुए, उन्होंने अस्पृश्यों की शिक्षा को बढ़ावा दिया। उनका पहला संगठित प्रयास “बहिष्कृत हितकारिणी सभा” की स्थापना की, जिसका उद्देश्य शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक सुधार को बढ़ावा देना था। 

* वर्ष 1930 में, भीमराव अम्बेडकर ने कालाराम मंदिर सत्याग्रह को शुरू किया। जिसमें लगभग 15,000 स्वयंसेवको ने प्रतिभाग लिया था। यही-नहीं इस आंदोलन में जुलूस का नेतृत्व एक सैन्य बैंड ने किया था और उसमें एक स्काउट्स का बैच भी शामिल था। पहली बार पुरुष और महिलाएं भगवान का दर्शन अनुशासन में कर रहे थे। जब सभी आंदोलनकारी मंदिर के गेट तक पहुंचे, तो उन्हें गेट पर खड़े ब्राह्मण अधिकारियों द्वारा गेट बंद कर दिया गया। विरोध प्रदर्शन उग्र होने पर गेट को खोल दिया गया। जिसके परिणामस्वरूप दलितों को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलने लगी। 

* वर्ष 1932 में, जब ब्रिटिशों ने अम्बेडकर के साथ सहमति व्यक्त करते हुए, अछूतों को “पृथक निर्वाचिका” देने की घोषणा की, तब महात्मा गांधी ने इसका विरोध करते हुए, पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में आमरण अनशन शुरु किया।

* वर्ष 1936 में, भीमराव अम्बेडकर ने “स्वतंत्र लेबर पार्टी” की स्थापना की, जिसने वर्ष 1937 में केन्द्रीय विधान सभा चुनावों मे 15 सीटें जीती थी।

* वर्ष 1941 और 1945 के बीच में उन्होंने बड़ी संख्या में बहुत सी विवादास्पद पुस्तकें और पर्चे प्रकाशित किए, जिनमे “थॉट्स ऑन पाकिस्तान” भी शामिल है। जिसमें वह मुस्लिम लीग के मुसलमानों के लिए एक अलग देश पाकिस्तान की मांग की आलोचना करते हैं। भीमराव अम्बेडकर इस्लाम और दक्षिण एशिया के रीतियों के भी बड़े आलोचक थे। उन्होने भारत विभाजन का तो पक्ष लिया, परन्तु मुस्लिमो में व्याप्त बाल विवाह की प्रथा और महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की घोर निंदा की।

* 15 अगस्त 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार जब अस्तित्व मे आई तब उन्होंने भीमराव अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया।

* उसके बाद अम्बेडकर के द्वारा तैयार किए गए संविधान में व्यक्तिगत नागरिक स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी और सुरक्षा प्रदान की गई है, जिसमें धर्म की आजादी, अस्पृश्यता को खत्म करना, और भेदभाव के सभी रूपों का उल्लंघन करना शामिल है। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के लिए तर्क दिया और अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सदस्यों के लिए नागरिक सेवाओं, स्कूलों और कॉलेजों में नौकरियों के आरक्षण की व्यवस्था शुरू करने के लिए असेंबली का समर्थन जीता जो एक सकारात्मक कार्रवाई थी। 

*स्वतंत्र भारत में जब राष्ट्रीय ध्वज पर विचार विमर्श किया जा रहा था, वह भीमराव अम्बेडकर “सविंधान ड्राफ्टिंग कमेटी” के अध्यक्ष ही थे। जिन्होंने राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र का सुझाव दिया था। उन्हीं की बदौलत आज तिरंगे में अशोक चक्र प्रदर्शित होता है।

* अम्बेडकर ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 का विरोध किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिया गया था और उनकी इच्छाओं के खिलाफ संविधान में शामिल किया गया था।

* भीमराव अम्बेडकर के दूसरे शोध ग्रंथ ‘ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास’ के आधार पर देश में वित्त आयोग की स्थापना हुई।

* उन्होंने अर्थशास्त्र पर तीन पुस्तकें लिखीं: एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस ऑफ दी इस्ट इंडिया कंपनी, द इव्हॅल्युएशन ऑफ प्रोविंशियल फाइनेंस इन ब्रिटिश इंडिया, द प्रॉब्लम ऑफ़ द रूपी : इट्स ओरिजिन एंड इट्स सोल्युशन।

* वर्ष 1950 के दशक में भीमराव अम्बेडकर बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध भिक्षुओं के सम्मेलनों में भाग लेने के लिए श्रीलंका (तब सिलोन) गए। और 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर शहर में डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर ने स्वयं और अपने समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक धर्मांतरण समारोह का आयोजन किया। जिसमें सबसे पहले डॉ॰ अम्बेडकर ने अपनी पत्नी सविता एवं कुछ सहयोगियों के साथ भिक्षु महास्थवीर चंद्रमणी द्वारा पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म ग्रहण किया।

* 6 दिसम्बर 1956 को, अम्बेडकर का मधुमेह की लम्बी बीमारी से मृत्यु (महापरिनिर्वाण) दिल्ली में उनके घर में हो गई। हर साल 20 लाख से अधिक लोग उनकी जयंती (14 अप्रैल), महापरिनिर्वाण यानी पुण्यतिथि (6 दिसम्बर) और धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस (14 अक्टूबर) को चैत्यभूमि (मुंबई), दीक्षाभूमि (नागपूर) तथा भीम जन्मभूमि (महू) में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इकट्ठे होते हैं।

* अम्बेडकर के अनुयायियों द्वारा उन्हें आदर एवं सम्मान से ‘बाबासाहब’ (मराठी: बाबासाहेब) कहा जाता है, जो एक मराठी वाक्यांश है जिसका अर्थ “पिता-साहब”, क्योंकि लाखों भारतीय उन्हें “महान मुक्तिदाता” मानते हैं।

* बाबा साहेब को सम्मान देते हुए कई सार्वजनिक संस्थानों एवं ग्यारह विश्वविद्यालयों के नाम उनके नाम पर रखे गए, जैसे कि :- डॉ॰ बाबासाहेब अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, डॉ॰ बी॰आर॰ अम्बेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर, अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली, इत्यादि शामिल है।

* भीमराव को हिस्ट्री टीवी 18 और सीएनएन आईबीएन द्वारा वर्ष 2012 में आयोजित एक चुनाव सर्वेक्षण “द ग्रेटेस्ट इंडियन” (महानतम भारतीय) में सर्वाधिक मत प्राप्त हुए थे। जिसमें लगभग 2 करोड़ मत डाले गए थे, इसके आधार पर उन्हें उस समय का सबसे लोकप्रिय भारतीय व्यक्ति माना जाने लगा।

* भीमराव अम्बेडकर की 125 वीं जयंती संयुक्त राष्ट्र संघ में मनाई गई थी, जहां संघ ने उन्हें ‘विश्व का प्रणेता’ कहां था। 

* वर्ष 2000 में, फिल्म निर्देशक जब्बार पटेल ने बाबा साहेब के जीवन चरित्र को प्रदर्शित करते हुए, एक फिल्म बनाई जिसका शीर्षक “डॉ॰ बाबासाहेब अम्बेडकर” था। 

* 14 अप्रैल 2015 को, गुगल ने अपने होमपेज डुडल के माध्यम से अम्बेडकर के 124 वें जन्मदिन का जश्न मनाया था। यह डूडल भारत, अर्जेंटीना, चिली, आयरलैंड, पेरू, पोलैंड, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम में दिखाया गया था।
Source:- https://hindi.starsunfolded.com/bhimrao-ramji-ambedkar-hindi/

👉डॉ बी. आर. अम्बेडकर के विचार :
• जीवन लम्बा होने की बजाय महान होना चाहिए।

• मैं किसी समुदाय की प्रगति, महिलाओं ने जो प्रगति हांसिल की है उससे मापता हूँ।

• एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना पर्याप्त नहीं है। जिसकी आवश्यकता है वो है न्याय एवं राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था।

• लोग और उनके धर्म सामाजिक मानकों द्वारा; सामजिक नैतिकता के आधार पर परखे जाने चाहिए। अगर धर्म को लोगो के भले के लिए आवशयक मान लिया जायेगा तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा।

• हमारे पास यह स्वतंत्रता किस लिए है ? हमारे पास ये स्वत्नत्रता इसलिए है ताकि हम अपने सामाजिक व्यवस्था, जो असमानता, भेद-भाव और अन्य चीजों से भरी है, जो हमारे मौलिक अधिकारों से टकराव में है को सुधार सकें।

• सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूँद के विपरीत, इंसान जिस समाज में रहता है वहां अपनी पहचान नहीं खोता। इंसान का जीवन स्वतंत्र है। वो सिर्फ समाज के विकास के लिए नहीं पैदा हुआ है, बल्कि स्वयं के विकास के लिए पैदा हुआ है।

• आज  भारतीय  दो  अलग -अलग  विचारधाराओं  द्वारा  शोषित  हो  रहे  हैं . उनके  राजनीतिक  आदर्श  जो  संविधान  के  प्रस्तावना  में  इंगित  हैं  वो  स्वतंत्रता  , समानता , और  भाई -चारे को  स्थापित  करते  हैं . और  उनके  धर्म  में  समाहित  सामाजिक  आदर्श  इससे  इनकार  करते  हैं

• राजनीतिक  अत्याचार  सामाजिक  अत्याचार  की  तुलना  में  कुछ  भी  नहीं  है  और  एक  सुधारक  जो  समाज  को  खारिज  कर  देता  है  वो   सरकार  को  ख़ारिज  कर  देने  वाले   राजनीतिज्ञ  से  कहीं अधिक  साहसी  हैं


 बी. आर. अम्बेडकर का जीवन परिचय पढ़ने ले लिए दिए क्लिक करें

👉https://www.quickhindi.in/2020/04/dr-bhimrao-ambedkar-biography-in-hindi.html
👉 https://www.bharatdarshan.co.nz/magazine/article/child/170/ambedkar-biography.html
👉 https://www.1hindi.com/dr-bhimrao-ambedkar-life-history-hindi/

Sunday, April 16, 2023

Friday, November 18, 2022

परीक्षा पर चर्चा 2023-24